एक गाँव मे आए दिन डकैट आते थे और लोगों को लूटकर चले जाते थे जिससे गांव वाले बहुत परेशान थे। एक दिन गाँव मे एक संत पधारे जिनसे गांव वालो ने डकैटो से निपटने का उपाय पूछा ! तो संत बोले उपाय तो में बता दूँगा पर इसके लिए हर आदमी को दस-दस रुपये मुझे देना होंगे। सभी ने अपने हिस्से के पैसे संत को दे दिए। लेकिन संत पैसे लेकर रात मेँ वहाँ से चले हो गए फिर डकैत आए और गाँव वालों को लूटकर चले गए। एक महीने बाद संत फिर उसी गाँव मेँ फिर आए तो गाँव वालो का गुस्सा संत पर निकल पड़ा। संत ने उन्हें धैर्य बँधाते हुए कहा तुम्ही लोगों के लिए मे काम पर लगा हूँ परंतु प्रति परिवार पचास रुपये खर्चा हो रहा है इससे कम मेँ बात नही बन रही है, इस पर सभी राजी हो गए और पचास-पचास रुपये संत को दे दिए तो संत उसी रात मे फिर चले हो गए! कई दिन गुजर गए और गाँव मे कितनी ही बार डकैटी डल गई पर संत का कोई पता नही था। बहुत समय बाद फिर संत गाँव मे पधारे गाँव वालों ने जब संत को वापस गाँव मे देखा तो आग बबूला हो गए और गुस्से से बोले आप कैसे संत है हमसे रुपये ऐठकर ले जाते हो और कोई उपाय भी नही बताते हो? इस पर संत बोले तुम्हारी समस्या बहुत जटिल है इसलिए खर्चा भी बहुत है हर घर से सौ रुपये लगेंगे तब ठीक होगी! यह सुनते ही गाँव वालों का गुस्से का ठिकाना न रहा और संत से बोले तुम संत नही हो संत के वेश मे लुटेरे हो तुम ऐसे नही मानोगे तुम्हारे हाथ पाँव तोड़ना पड़ेंगे तब तुम्हें पता चलेगा! और ऐसा कहते हुए लोग संत को मारने दौड़े तो संत ने कहा, "रुक जाओ भाईयों ! डकैतोँ से बचने का उपाय मिल गया।" गांव वालो ने कहा क्या है उपाय? तो संत ने कहा मुझे सौ रुपये की ठगी करते हुए तुम सब मुझे मारने पर उतारू हो गए मगर डकैत तुम्हारा हजारों का माल लूटकर ले जाते है फिर भी तुम कुछ नही करते जिस दिन तुम एकजुट होकर डकैतोँ का सामना करोगे तो वे भी तुम से घबराने लगेंगे.... अगली बार गाँव मे डकैती होने पर सभी के एक साथ डकेतोँ से सामना करने से डकेतोँ को खाली हाथ वहाँ से भागने पर विवश होना पड़ा!! अब गाँव वाले समझ गए थे की एकता मे ही बड़ी शक्ति है जिससे बड़े से बड़े संकट का सामना भी किया जा सकता है और उसपर विजय भी प्राप्त कि जा सकती है।