पचमठा मंदिर” जहाँ दिन में 3 बार रंग बदलती है माँ लक्ष्मी की प्रतिमा !

मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है लक्ष्मी माता का मंदिर
                    आज हम आपको लक्ष्मी माँ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ उनकी प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है। आइये जानते हैं लक्ष्मी माता का ये मंदिर कहाँ स्थित है और क्या है इस मंदिर की ख़ास विशेषता।
                      आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश के जबलपुर में लक्ष्मी माता का बेहद चमत्कारी मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की इसका निर्माण मध्यप्रदेश में गोंडवाना शासनकाल में रानी दुर्गावती के सेनापति आधार सिंह ने करवाया था। यहाँ लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना के लिए खासतौर से अमावस्या की रात को भक्तों की भीड़ लगती है। बता दें किइस मंदिर का नाम पंचमठा लक्ष्मी मंदिर है। पौराणिक काल में इस मंदिर में तांत्रिक जन तंत्र विद्या का प्रयोग कर साधना करते थे। इस मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना की गयी है। नवरात्रि खत्म होते ही हर जगह दीपावली की तैयारियों में लोग जुट गए हैं। आने वाली 27 अक्टूबर को प्रकाश का पर्व “दीपावली” मनाई जाएगी। दीपावली नज़दीक आते ही बाज़ार में रंग-बिरंगे दीयों से लेकर लक्ष्मी-गणेश की अलग-अलग प्रकार की मूर्तियां देखने को मिलती हैं। दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी के पूजा का विधान है। इस दिन लोग माँ लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। कहते हैं कि देवी-देवता भी अपने चमत्कार से समय-समय पर भक्तों को चकित करते रहते हैं और अपने होने का एहसास कराते है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको माँ लक्ष्मी के एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताते हैजहाँ माँ की प्रतिमा दिन में 3 बार अपना रंग बदलती है।

मध्‍यप्रदेश में स्थित है यह प्राचीन मंदिर
                   माँ लक्ष्मी का यह मंदिर “पचमठा मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध है। मां का यह अद्भुत मंदिर मध्‍यप्रदेश के  जबलपुर में स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर का र्निमाण गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था। इस मंदिर में अमावस की रात को भक्तों का तांता लगता है। यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का केन्द्र हुआ करता था। कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ श्री यंत्र की विशेष रचना की गयी है।

दिन में तीन बार रंग बदलती है माँ की प्रतिमा
                 मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण करीब 11 सौ साल पहले करवाया गया था। इस मंदिर के अंदरूनी भाग में श्री यंत्र की अनूठी संरचना की गयी हैजो कि हमेशा चर्चा का विषय रहा है। खास बात तो यह है कि आज भी सूरज की पहली किरण सबसे पहले मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है। इस मंदिर में आने वाले सभी भक्‍तों और पुजारियों का कहना है कि यहां स्थित मां लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है। कुछ लोग तो केवल इस चमत्कार का अनुभव करने के लिए ही पचमठा मंदिर आते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार यह प्रतिमा प्रात: काल में सफेददोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।
                   लक्ष्मी माता मंदिर की ख़ास विशेषता ये यही कि यहाँ देवी माँ की मूर्ति दिन में करीबन तीन बार रंग बदलती है। लक्ष्मी माता के मंदिर की इस विशेषता की वजह से ही यहाँ हर दिन हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं। यहाँ के पुजारियों का ऐसा कहना है कि सुबह के समय माता की मूर्ती सफ़ेद रंग की दिखाई देती हैदोपहर के समय उसका रंग पीला हो जाता है और शाम के समय लक्ष्मी माता की मूर्ति नीले रंग की दिखाई देती है। पुरातत्व विभाग का ऐसा कहना है कीइस मंदिर का निर्माण आज से करीबन ग्यारह सौ साल पहले हुआ था। इस मंदिर के अन्य विशेषताओं की बात करें तो यहाँ सबसे पहले सूर्य की किरण माता के चरणों की स्पर्श करती है। 

शुक्रवार के दिन लगता है भक्तों का ताँता
                      चूँकि लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष रूप से शुक्रवार का दिन ख़ास माना जाता है। इसलिए इस मंदिर में भी शुक्रवार के दिन विशेष रूप से भक्तों का तांता लगता है। लोगों में इस मंदिर को लेकर ऐसा विश्वास है की यहाँ व्यक्ति जिस मनोकामना के साथ देवी माँ के दर्शन के लिए आते हैं वो पूरी जरूर होती है। देवी के इस मंदिर के द्वार शुक्रवार के दिन विशेष रूप से रात के 12 बजे तक खुले रहते हैं। दिवाली के अवसर पर मंदिर को लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष रूप से सजाया जाता जाता है। इस दिन मंदिर का द्वारा रात भर खुला रहता है। हिन्दू धर्म में शुक्रवार के दिन को विशेष रूप से लक्ष्मी माता का दिन माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसी मान्यता किशुक्रवार के दिन लक्ष्मी माँ की पूजा अर्चना करने से धन से संबंधित मुसीबतों से छुटकारा मिलता है।

दीपावली पर होता है खास आयोजन

                  दीपावली के दिन पचमठा मंदिर में माँ महालक्ष्‍मी के दर्शनों के लिए भक्‍तों का तांता लगा रहता है। इस दिन पचमठा मंदिर में मां लक्ष्मी का खास पूजा व अभिषेक किया जाता है। दीपावली पर मंदिर के पट पूरी रात खुले रहते हैंऔर दूर-दराज से लोग यहां दीपक रखने आते हैं। आधी रात होने तक पूरा मंदिर दीपकों की रोशनी से दमक उठता है। इस मंदिर में हर शुक्रवार बहुत ज़्यादा भीड़ रहती है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति यहाँ सात शुकवार आकर मां लक्ष्‍मी के दर्शन कर लेतो उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। केवल रात को छोड़कर मंदिर के कपाट हर समय खुले रहते हैं। सिर्फ दीपावली के दिन रात के समय में भी पट बंद नहीं होते।