हिम्मत न हार, प्रभु न बिसार।

            एक कुम्हार अपने गधे को लेकर रोज मिट्टी लेने पहाड पर जाता था । जब वह गधा बूढा हो गया तो कुम्हार ने दूसरा गधा ले लिया और बूढे गधे को ऐसे ही छोड दिया ।

            एक दिन बूढा गधा पास के जंगल में पानी की तलाश में भटकते-भटकते एक बडे गड्ढे में गिर गया, कई चोटें आयीं । गधा घंटों तक ज़ोर-ज़ोर से रेंकता रहा ।

            कुम्हार किसी कार्य से जंगल में गया और गधे की आवाज सुनकर वहाँ पहुँच गया । सोचने लगा कि क्या किया जाय ? इसे निकालना बडा कठिन है और अगर लोगों की मदद लेकर निकाल भी लेता हूँ तो फिर इसका इलाज कराना पडेगा । वैसे भी यह बूढा गधा किसी काम का तो है नहीं, उलटा इसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी मेरे गले पडती है । इसको ऐसे ही छोड देते हैं ।

            कुम्हार ने पुनः विचार किया कि पर इस बात का लोगों को पता चलेगा तो समाज में मेरी बदनामी होगी । अब क्या करूँ ? वैसे भी यह ज्यादा समय तक जिंदा रहनेवाला नहीं है अतः इसे इसी गड्ढे में दफना देना चाहिए ।

            कुम्हार ने फावडा लिया और गड्ढे में मिट्टी डालनी शुरू कर दी । गधा जीवन का अंत नजदीक देख भगवान से प्रार्थना करने लगा । अचानक उसे एक युक्ति सूझी । जब कुम्हार गड्ढे में मिट्टी डालता तो गधा अपनी पीठ पर पडनेवाली मिट्टी को हिल-हिलकर नीचे गिरा देता और उस पर चढ जाता था । जैसे-जैसे कुम्हार मिट्टी डालता गया वैसे-वैसे गड्ढे में मिट्टी का स्तर ऊपर उठता गया और गधा भी ऊपर आता गया । जब गड्ढा पूरा भर गया तो गधा बाहर निकल आया और भाग गया ।

            कहानी सत्य हो या काल्पनिक पर एक बहुत मार्मिक सीख देती है कि दुनिया कैसी स्वार्थ से भरी है ! जब तक हमसे स्वार्थ सिद्ध होता है तभी तक सभी पूछते हैं और जब हम सत्ताहीन, शक्तिहीन हो जाते हैं तो वे ही पुत्र, पत्नी आदि संबंधी जिनके लिए हमने अपना पूरा जीवन लगा दिया, हमें बोझा समझने लग जाते हैं । इससे उदास होने की जरूरत नहीं है बल्कि समझदारी बढाने की जरूरत है, संतों की यह बात अपने जीवन में लाने की जरूरत है कि संसार को चाहोगे तो यह तुम्हें निचोडकर फेंक देगा । नश्वर संसार को महत्त्व दोगे तो यह अंत में रुलाये बिना नहीं छोडेगा । दुनिया के लोग हमसे मुँह मोड लें उससे पहले ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों की शरण जा के जो परमात्मा कभी हमारा साथ नहीं छोडता उसके साथ का अपना संबंध जान लें ।

            यह कहानी दूसरी यह सीख भी देती है कि आपके जीवन में भी कई तरह से मिट्टी फेंकी जायेगी, जैसे कि कोई कभी आपका अपमान करेगा, कोई अकारण ही बुराई करेगा, आपके नेक कार्यों को झुठलाकर झूठे आरोप लगायेगा - ऐसे में आपको हतोत्साहित हो के गड्ढे में ही नहीं पडे रहना है बल्कि साहस के साथ हर तरह की गंदगी को गिरा देना है और आकर्षण-विकर्षण, मान-अपमान, झूठे आरोपों को ऊपर उठने का साधन बनाकर स्वस्थ होना है अर्थात् स्व (आत्मा) में सजग होना है ।