कम लागत, कम मेहनत और लाभ कई गुना
                               तुलसी के पत्ते खाने, तुलसी के वातावरण में रहने व प्राणायाम करने से तथा तुलसी का पूजन, रोपण करने से कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक लाभ होते हैं, जिससे दवाओं में होने वाले खर्च एवं उनके दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) से बचाव होता है।
                              तुलसी की खेती से किसानों की जिंदगी बदल रही है। मालवांचल में एक कृषि वैज्ञानिक की बात मानकर दो किसानों ने तुलसी की खेती शुरू की, जिसमें  15 हजार की लागत पर उन्होंने 3 लाख रूपये कमाये। औषधिये गुणों से भरपूर होने के कारण बाजार में इसकी भारी माँग है। कम्पनियाँ पहले ही किसानों से खरीद का करार कर लेती हैं। (इंडो-एशियन न्यूज सर्विस, दैनिक भास्कर)

तुलसीः एक अदभुत औषधि
                              फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा हैः "तुलसी एक अदभुत औषधि (Wonder Drug) है। इस पर किये गये प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ है कि रक्तचाप और पाचनतंत्र के नियमन में तथा मानसिक रोगों में तुलसी अत्यंत लाभकारी है। इससे रक्तकणों की वृद्धि होती है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।"
                             तुलसी रोगों को तो दूर करती ही है, इसके अतिरिक्त ब्रह्मचर्य की रक्षा करने एवं याद्दाश्त बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है।
                             तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर (बुखार) में उपयोगी हैं। वीर्यदोष में इसके बीजों का उपयोग उत्तम है। तुलसी की दूधरहित चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वात-कफ के विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है। तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिवजी नारदजी से कहते हैं-
पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्।
तुलसीसंभवं सर्वं पावनं मृत्तिकादिकम्।।
                             तुलसी का पत्ता, फूल, फल, मूल, शाखा, छाल, तना और मिट्टी आदि सभी पावन हैं। पद्म पुराण, उत्तर खंड 24.2)


कैंसर का अनुभूत उपाय
                             कैंसर के रोगी को 10 ग्राम तुलसी का रस तथा 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह दोपहर शाम देने से अथवा 10 ग्राम तुलसी का रस एवं 50 ग्राम ताजा दही (खट्टा नहीं) देने से उसे राहत मिलती है। एक-एक घंटे के अंतर से दो-दो तुलसी के पत्ते भी मुँह में रखकर चूसते रहें।
                             सुबह दोपहर शाम दही व तुलसी का रस कैंसर मिटा देता है (सूर्यास्त के बाद दही नहीं खाना चाहिए।) वज्र रसायन की आधी गोली दिन में 2 बार लें। (सभी आश्रमों व समितियों में उपलब्ध)



तुलसी के प्रयोग से कैंसर से मुक्ति
पूज्य सदगुरुदेव के श्रीचरणों में सादर प्रणाम !
                                करीब ढाई वर्ष पूर्व मुझे मुँह का कैंसर हो गया था। डॉक्टरों के अनुसार मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। ऐसे समय में पूज्य बापू जी के सत्संग के द्वारा मुझे पानी एवं तुलसी के प्रयोग की जानकारी मिली। मैंने प्रतिदिन प्रातःकाल पानी प्रयोग (आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह बासी मुँह पीना), तुलसी का प्रयोग एवं गुरुमंत्र का जप जारी रखा। आज मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ। यह केवल पूज्य गुरुदेव की कृपा का ही चमत्कार है। शकुंतला पाटिल, गांधीनगर, गुजरात

तुलसी से बनी दवा के प्रभाव से।
12 वर्षों के बाद मिला अनिद्रा से छुटकारा
                             मुझे पिछले 12 सालों से अनिद्रा का रोग था। बड़े-बड़े डॉक्टरों से इलाज कराया। ई.एन.टी. (नाक, कान एवं गला) के डॉक्टरों ने साइनस बताकर ऑपरेशन का परामर्श दिया तो मनोरोग विशेषज्ञों ने नींद की गोलियाँ देकर सुलाया। परंतु जैसे-जैसे इलाज करता गया, मर्ज भी बढ़ता गया। सिर में हजारों झींगुरों, चिड़ियों की चूँ-चूँ बजती रहती। रात के सन्नाटे में आवाजें और बढ़ जातीं। मैं सारी रात जागता रहता था। प्रातः 5 बाद के एक आध घंटे की हलकी सी नींद आती थी।
                             मैंने नवम्बर 2011 में हरिद्वार आश्रम में पूज्य बापू जी को अपनी व्यथा सुनायी और प्रार्थना की कि मुझे 12 साल से नींद नहीं आ रही है। अब तो नींद की गोलियों ने भी अपना असर बंद कर दिया है और मैं अवसाद में चला गया हूँ।
                             करूणसागर बापू जी ने मुझे प्रसादरूप में तुलसी से बनी संजीवनी गोली की एक डिब्बी तथा नींद लाने का मंत्र दिया। मंत्रदाता समर्थ बापू जी द्वारा दिये गये मंत्र व संजीवनी गोली ने गजब का काम किया ! उसी रात मुझे नींद की गोली बिना 7 घंटे खूब गहरी नींद आयी।
                             पूज्य बापू जी कृपा से मैं रोगमुक्त हुआ। अब पर्याप्त व प्राकृतिक नींद आने लगी। कृपामूर्ति पूज्य बापू जी को कोटि-कोटि प्रणाम !
इन्द्रनारायण शाह, हरिद्वार (उत्तराखण्ड) सचल दूरभाष 09411352846

तुलसी माला बनी रक्षा कवच।
                             हम पति पत्नी दोनों ने पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू से मंत्रदीक्षा ली है। एक बार मैंने गोरेगाँव(मुंबई) आश्रम में ऋषि प्रसाद पत्रिका के सौ सदस्य बनाने का संकल्प लिया। संकल्प पूरा होने पर मुझे गुरुदेव के प्रसादरूप में तुलसी की माला मिली। घर आने पर माला देखते ही मेरे पतिदेव आनंदित होकर बोलेः "मुझे लगता है कि बापू जी ने यह माला मेरे लिए ही दी है।" मैंने वह माला उनको दे दी। अगले दिन जब वे स्कूटर से ऑफिस  जा रहे थे तो अचानक सामने से आ रहे तेल के टैंकर से टकरा गये। आसपास खड़े लोगों ने देखते ही कहा, 'यह तो गया !' पतिदेव का हाथ उस तुलसी की माला पर गया और वे प्रार्थना करने लगे, 'हे गुरुदेव ! मेरी रक्षा करो।' उसी क्षण पूज्य बापू जी सामने प्रकट हो उन्हें सड़क के किनारे करके अदृश्य हो गये। पतिदेव के कपड़े पेट्रोल में भीगकर काले हो गये थे और फट गये थे किंतु शरीर पर एक भी चोट नहीं थी। पूज्य बापू जी की कृपा से मेरे पतिदेव के प्राणों की रक्षा हुई।
                             तब से मैंने निश्चय कर लिया कि 'जिस सेवा से मेरे पतिदेव की रक्षा हुई, वह सेवा और ज्यादा करूँगी और लोगों तक पूज्य बापू जी का कृपा प्रसाद यह ऋषि प्रसाद पत्रिका पहुँचाऊँगी।'
रूचि सिंह, कोलाबा, नेवी नगर, मुंबई, सचल दूरभाष 08108774877.


घर के झगड़े मिटाकर सुख शांति लाने हेतु उपाय पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू
                             तुलसी के थोड़े पत्ते पानी में डाल के उसे सामने रखकर भगवद्गीता का पाठ करें। फिर घर के सभी लोग मिल के भगवन्नाम-कीर्तन करके हास्य प्रयोग करें और वह पवित्र जल सब लोग ग्रहण करें। यह प्रयोग करने से घर के झगड़े मिटते हैं, शराबी की शराब छूटती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।

ईश्वरीय वरदान तुलसी
               १.          ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से बरकत होती है।
               २.          चरक सूत्र में आता है कि 'तुलसी हिचकी, खाँसी, विषदोष, श्वास-रोग और पार्श्वशूल को नष्ट करती है। यह वात, कफ और मुँह की दुर्गन्ध को नष्ट करती है।'
               ३.          फ्रेच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है- "तुलसी एक अदभुत औषधि (Wonder Drug) है।
               ४.          इजरायल में धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक और अन्य मांगलिक अवसरों पर तुलसी द्वारा पूजन कार्य सम्पन्न होते रहे हैं, यहाँ तक कि अंत्येष्टि क्रिया में भी।
               ५.          'इम्पीरियल मलेरियल कॉन्फ्रेंस का दावा है कि 'मलेरिया की विश्वसनीय, प्रामाणिक दवा है तुलसी।'
               ६.          "तुलसी संक्रामक रोगों, जैसे यक्ष्मा (टी.बी.), मलेरिया इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है।"
               ७.          ''तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में विद्युतीय शक्ति का  प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की जीवन-अवधि में वृद्धि होती है।" वनस्पति वैज्ञानिक डॉक्टर जी.डी. नाडकर्णी

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