"संत आसारामजी को जेल भेजना बहुत आवश्यक था"
              हिन्दू संगठन "संस्कृति रक्षक संघ" द्वारा समय समय पर कई पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं, उसमें एक पुस्तक है जिसका नाम है आसारामजी बापू खतरा या साजिश” उस पुस्तक में एक टाइटल लिखा है कि "संत आसारामजी को जेल भेजना बहुत जरूरी था"
किताब में लिखा है कि  खइचठ रिपोर्ट के अनुसार भारत में किसी भी गरीब को ईसाई बनाने का खर्च दुनिया के किसी विकसित देश के मुकाबले 700 गुणा सस्ता है
भारत पोप के लिए सबसे सस्ता बाजार है जो संत आसारामजी बापू के सत्संग व बढ़ते सेवा कार्यों से यह बाजार महँगा होता जा रहा था
धर्मान्तरण में तेजी लाने के लिए संत आसारामजी बापू को जेल भेजकर उनका प्रभाव कम करना बहुत जरूरी हो गया था
चाकू छुरे गोलियों से भून दिया
              बापू के कई विरोधियों में से सात को गोलियों से भून दिया गया जिसमें तीन मरे, चार बच गये तथा दूसरे एक के ऊपर तेजाब से व दो के ऊपर चाकू से हमला किया गया
                   मरने/मारने वाली षड्यंत्रकारियों की टीम का एक सदस्य भोलानंद गुप्ता जो पुलिस के हाथों लगा उसने सच्चाई बता दी कि हमारी टीम के लोगों का यह कहना था कि "देखो गुप्ता जी आप फंसते हो या हम में से कोई भी अगर पकड़ा गया तो हम एक दूसरे को गोली मार देंगे या चाकू से वार कर देंगे, ऐसा कुछ हम करवा देंगे जिससे केस पूरा बापू पर आ जाएँ"...
                  होता भी ऐसा ही रहा, जब भी संत आसारामजी बापू की जमानत की अर्जी डाली जाती उन्हीं दिनों ऐसी कोई न कोई घटना हमें देखने सुनने में मिली...
                 और हर सम्भव प्रयास मीडिया द्वारा बापू को दोषी बनाने का किया गया तथा आश्रम वालों पर भी केस किये गए...
                    अब सोचिए कौन इतना मूर्ख होगा जो एक ओर जमानत याचिका डाल रहा है और दूसरी ओर दूसरे पक्ष के गवाहों पर जानलेवा हमले कराएगा...
 संत आसारामजी का चुनौतीपूर्ण मिशन धर्मान्तरण को रोकना ...
                 संत आसारामजी बापू के वक्ताओं द्वारा प्रतिवर्ष हजारों सत्संग कार्यक्रम, 1200 भजन मंडली, प्रति माह 17 लाख ऋषि प्रसाद पत्रिका व 3 लाख लोक कल्याण पत्रिका का प्रकाशन तथा प्रति वर्ष 4,000 संकीर्तन यात्रायें निकाली जाती हैं...
                उनके सैकडों आश्रमों में आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक, एक्युप्रेशर आदि की चिकित्सा की जाती है तथा गाँव गाँव में गरीबों आदिवासियों में निःशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित होते हैं तथा कई चल चिकित्सालय चलते हैं...
                उड़ीसा, गुजरात, मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ, महाराष्ट्र आदि राज्यों के सबसे गरीब इलाकों में गरीबों, अनाश्रितों एवं विधवाओं के लिए बापू के आश्रम द्वारा राशन कार्ड दिये गये हैं, जिससे उन्हें हर माह अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं की निःशुल्क सामग्री मिलती है...
                संत आसारामजी की "भजन करो भोजन करो व रोजी पाओ" योजना के तहत जिनकी आय कम है अथवा खाली बैठे वृद्धों व परिवारजनों के लिए सुबह से शाम तक भगवन्नाम जप, सत्संग, कीर्तन करवाकर भोजन व रोजी ( 50 से 80 रुपया प्रतिदिन) दी जाती है, सिर्फ इसलिए कि इस गरीब तबके का अपने धर्म से लगाव रहे और ये गरीबी से तंग आकर इसाई मिशनरियों के चंगुल में ना फंस जाएँ संत आसारामजी बापू ऐसी अनेकों योजनायें चलाकर ईसाई धर्मान्तरण को रोकते आए हैं...!!!
विदेशी कम्पनियों को उखाड फेंकना
                अगर बापूजी के चार करोड़ शिष्य व अनुयायी 50 सालों तक शराब व सिगरेट नहीं पीते हैं तो 37 लाख 64,000 करोड़ रुपयों का शराब कम्पनियों को घाटा, 22 लाख 72,000 करोड़ रुपयों का सिगरेट कंपनियों को घाटा होता है
                 वेलेन्टाइन डे से जुड़े सप्ताह के दौरान चॉकलेट, फूल, ग्रीटिंग आदि विभिन्न उपहारों की बिक्री के कारोबार में भी करोड़ों रुपयों का नुकसान होता है, ऐसे ही गुटखा, ब्लू फिल्म, अश्लील सामान आदि बनाने वाली कम्पनियों का भी यही हाल है...
                यदि इन सभी आंकडों को जोड़ा जाए तो कई सौ लाख करोड़ रुपये हो जाते है, उनके इतने बडे नुकसान की वजह सिर्फ अकेले संत आसाराम थे...

पाश्चात्य संस्कृति को रोकना नए त्यौहार बनाना
संत आसारामजी ने सन् 2004 से 14 फरवरी को वेलेन्टाइन डे की जगह मातृ पितृ पूजन दिवस मनाना शुरु करवाया....
इसका ऐसा प्रचार हुआ कि मानो वेलेन्टाइन डे को उखाड़ने का ताँडव शुरु हो गया हो...
मलेशिया, ईरान, सउदी अरब, इंडोनेशिया,जापान, आदि देशों ने वेलेन्टाइन डे पर प्रतिबंध लगा दिया...
मातृ पितृ पूजन दिवस विश्वव्यापी हो गया है जिससे ईसाई जगत में खलबली मच गई
                              इस बाबा ने जेल में रहते हुए भी 25 दिसम्बर को  क्रिसमस डे की जगह तुलसी पूजन दिवस के नये त्यौहार का प्रचार प्रसार अपने शिष्यों से करवाया, धर्मान्तरण करने वाला ईसाई जगत बाबा के जेल में जाने के बाद भी परेशान है
                                इन सभी को लेकर बापू आसारामजी को जेल भेजना जरूरी था, नहीं तो ईसाई मिशनरियों का हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवाना मुश्किल हो जाता और विदेशी कम्पनियाँ ठप हो जाती... अब शायद आप समझ ही गये होंगे कि भारत विरोधियों द्वारा संत आसारामजी बापू को जेल भेजना कितना जरूरी था...
                लेकिन ये भी बता दूं कि हिन्दू समाज जो सोया है और विदेशी ताकतों के खिलाफ आवाज नही उठा रहा है तो एक के बाद एक संत जेल में भेजे जाएँगे और भेजे जाते रहे हैं....
                संत आसारामजी की गिरफ्तारी के तुरंत बाद स्वयं मैंने NDTV के एक बड़े पत्रकार की फेसबुक पोस्ट पर इसी ग्रुप के एक बड़े कर्मचारी की कमेंट देखी थी जिसमें लिखा था "इसको तो ठिकाने लगा दिया अब उस श्री श्री(रविशंकर नहीं लिखा था पर सब जानते हैं कि उन्हीं के लिए श्री श्री लिखा जाता है) का नंबर है...
हम लोग बड़े भोले हैं मीडिया जो बकती है हम उसे सच मान बैठते हैं...
                         ये सच्चाई है कि यदि कोई झूठी बात भी किसी व्यक्ति को बार बार बताई सुनाई जाए तो एक वक्त एसा आता है जब उस व्यक्ति का दिमाग उस झूठ को सच समझने लगता है...
हमारा हाल भी एसा ही है हम किसी की चार चिकनी चुपड़ी बातों में आकर एकतरफा सोचने लग जाते हैं किसी भी घटना के दोनों पहलुओं पर विचार नहीं करते और बाद में हम सभी को पछतावा ही हाथ लगता है...
यदि हिन्दू संत समाज नहीं बचेगा तो हिन्दू संस्कृति ही नही बचेगी तो फिर हिंदुओं का विनाश तो सुनिश्चित है इसलिए अभी भी समय है....
समय पर चेत जाओ और हिन्दू संतों पर हो रहे कुठाराघात का समर्थन ना करें....
बाकी आप सभी मुझसे ज्यादा समझदार हैं...
सनातन धर्म की जय
भारत माता की जय

राहुल सिंह राणा