कलियुग में मां गंगा के तीन चमत्कार।
कलयुग
में महादेव के प्रति गंगा की भक्ति की तीन ऐसी चमत्कारी कहानियां, जिन्हें
देखने के बाद आपका सिर अपने आप
श्रद्धावश झुक जाएगा।
तो
सबसे पहले चलते हैं रामगढ़। यहां मां गंगा 24 घंटे महादेव का
अभिषेक करती हैं। कहते हैं, जिसने भी मां के इस रूप के दर्शन कर लिए
उसकी कोई भी मनोकामना बाकी
नहीं रहती। शिव की शक्ति, गंगा की भक्ति की ये वो अनूठी तस्वीर
है। कलियुग में भगवान का ये रूप और उनका चमत्कार नास्तिक को भी आस्तिक बना देता
है। मां गंगा यहां महादेश का अभिषेक करती हैं, वह भी 24 घंटे।
झारखंड के रामगढ़ जिले के महादेव मंदिर में भक्त जब अपने आराध्य की पूजा करने
पहुंचते हैं तो वे यहां इसी श्रद्धा को देखते हैं। इस मंदिर में शिवलिंग के ठीक
ऊपर मां गंगा विराजमान हैं. इनकी नाभि से 24 घंटे जल की धारा
बहती है। इस धारा में शिव भीगते रहते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। ये
जल कहां से आता है ये कोई नहीं जानता,
सूखा हो या बरसात, सर्दी हो या गर्मी, गंगा
की नाभि से जल बहना कभी बंद नहीं होता। महादेव के इस अनोखे मंदिर के पुजारी रघुनाथ
दास ने बताया कि भक्त इसे टूटी झरना के नाम से पुकारते हैं। महादेव के एक
श्रद्धालु बबलू कहते हैं टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप
के दर्शन कर लेता है उसकी मनोकामना
पूरी हो जाती है। शिव और गंगा के चमत्कारी रूप के दर्शन करने के लिए यहां हमेशा
श्रद्धालुओं को तांता लगा रहता है। भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले जल को प्रसाद के
रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं. कहते हैं इस जल में
इतनी शक्तियां समाहित हैं कि इसे ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है। दुखों
से लड़ने की ताकत मिल जाती है।
अब हम आपको
बताने जा रहे हैं दूसरे स्थल के बारे में - सूरत में धरती का सीना फाड़कर माँ गंगा
गंगाधर की पूजा करती हैं। सूरत में एक ऐसा शिवलिंग है जो खंडित है, इसमें
अनगिनत छेद हैं और इन्हीं छिद्रों से गंगा की धारा बहती है। गंगाधर के इस रूप को
अद्भुत और दुर्लभ बताया गया है। यह रूप बार-बार देखने को नहीं मिलता। इस रूप का
दर्शन मात्र भक्त की नैया पार लगा सकता है क्योंकि इस रूप में सृष्टि के संहारक
शिव और जीवनदायिनी मां गंगा के एक साथ दर्शन होते हैं। यह तो आपने सुना ही होगा कि
गंगा शिव की जटाओं से होकर निकली थीं। महादेव ने गंगा के वेग को थाम लिया था। इस
खंडित शिवलिंग के पीछे की कहानी हम आपको बताते हैं। गुजरात के सूरत जिले के ओलपाड
में बने सिद्धनाथ मंदिर में स्थापित इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि ये
स्वयंभू है और सैकड़ों सालों से खंडित अवस्था में है। कहते हैं की सिद्धनाथ महादेव मंदिर को मुसलमान लुटेरों ने लूटने की कोशिश की, लुटेरों को लगा कि शिवलिंग के नीचे
खजाना छिपा है। इसलिए उन्होंने शिवलिंग पर कुल्हाड़ी से कई प्रहार किए, जिससे
इसमें छेद हो गए। कहा जाता है कि तब महादेव क्रोधित होकर इन छिद्रों से भंवरों के
रुप में प्रकट हुए और उन्होंने लुटेरों को मार भगाया। मंदिर के पुजारी जनक भाई
गोस्वामी ने बताया कि लुटेरे तो भाग गए लेकिन मंदिर की पवित्रता लौटाने के लिए
महादेव को गंगा का आह्वान करना पड़ा। शिव की आज्ञा से शिवलिंग में प्रकट हुयी
गुप्त गंगा आज भी इसमें अपनी लय में बहती हैं। वैसे हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक
खंडित शिवलिंग की आराधना नहीं की जानी चाहिए, लेकिन यहां न
केवल महादेव के इस चमत्कारी रूप की पूजा की जाती है बल्कि विधि-विधान का पालन भी
किया जाता है। पूजा से पहले महादेव को शिवलिंग से निकलने वाले जल से ही स्नान
कराया जाता है। भक्त शिव के इस रूप के दर्शन कर निहाल हो जाते हैं। एक श्रद्धालु
ज़न्खना बेन पटेल कहते हैं कि शिवलिंग में शिव के आदेश पर प्रकट हुए जल को यहां
आने वाले भक्त गंगा जल की तरह प्रयोग
करते हैं। अब इसे चमत्कार नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे कि जहाँ इस मंदिर के
आस-पास का पानी समुद्र की निकटता की वजह से बेहद खारा है वहीं शिवलिंग से निकलने
वाला जल नारियल के पानी की तरह मीठा है। यहां आने वाले भक्तों को जहाँ महादेव के
दर्शनों का सौभाग्य मिलता है वहीं गंगाजल उन्हें कई तरह की बीमारियों से भी
छुटकारा दिलाता है।
वडोदरा में
गल्तेश्वर मंदिर में भी गुप्त गंगा बहती है। यह गंगा महादेव के चरण धोती है। गंगा
को यहां गलती नदी के नाम से भक्त पुकारते हैं। कहते हैं गल्तेश्वर महादेव के चरणों
का स्पर्श करने के लिए माँ गंगा यहाँ अपनी राह बदल कर आती हैं। इसके अलावा
छत्तीसगढ़ में एक लाख छेद वाले शिवलिंग में गंगा और यमुना दोनों की ही वास है।
भक्तों को यहाँ महादेव के साथ-साथ मां गंगा और यमुना का आशीर्वाद भी मिलता है।
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