कमर झुकाकर, रीढ़ की हड्डी टेढ़ी रखकर बैठने-चलने वाले व्यक्ति की जीवनशक्ति कम हो जाती है। उसी व्यक्ति को कमर, रीढ़ की हड्डी, गर्दन व सिर सीधे रखकर बैठाया जाय और फिर जीवनशक्ति नापी जाय तो बढ़ी हुई मिलेगी। हिटलर जब किसी इलाके को जीतने के लिए आक्रमण की तैयारी करता, तब अपने गुप्तचर भेजकर जाँच करवाता कि उस इलाके के लोग कैसे चलते-बैठते हैं – युवानों की तरह सीधा या बूढ़ों की तरह झुककर ? इससे यह अंदाजा लगा लेता कि वह इलाका जीतने में परिश्रम पड़ेगा या आसानी से जीता जायेगा। सीधे-बैठने-चलनेवाले लोग साहसी, हिम्मत वाले, बलवान, दुर्बल, डरपोक व निराशावादी होते हैं। चलते-चलते बातें करने से भी जीवनशक्ति का खूह ह्रास होता है। हरेक प्रकार की धातुओं से बनी कुर्सियाँ, आरामकुर्सी, नरम गद्दीवाली कुर्सियाँ जीवनशक्ति को हानि पहुँचाती हैं। सीधी सपाट, कठोर बैठकवाली कुर्सी लाभदायक है। तुलसी, रुद्राक्ष, सुवर्णमाला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है।