नारी तू नारायणी ...... अधर्म खडा चुनौती देने।
                            कुछ लोग सोचते हैं कि धर्मयुद्ध को सिर्फ धर्म की राह पर चल कर ही लड़ा जाता हैं। ये महज़ एक मिथक हैं। जिस प्रकार ज़हर को ज़हर काटता हैं, कांटे से ही कांटा निक़लता हैं, उसी प्रकार जब कोई अधर्म में इतना अँधा हो जाए कि उसे कुछ ज्ञात नहीं रहता तब उसको समाप्त करने के लिए अधर्म का सहारा भी लेना पड़ता हैं। चूंकि वो अधर्म के विनाश के लिए उपाय होता हैं तो वो अधर्म, अधर्म नहीं रहता, धर्म बन जाता हैं, नीति संगत हो जाता हैं। सनातन धर्म में इसका उदाहरण भी हैं। जब अंधकासुर जिसे ब्रम्हाजी द्वारा रक्तबीज का वरदान प्राप्त था और उसकी मृत्यु माँ पार्वती जी द्वारा ही होगी ये भी बता दिया, ने काम, अहंकार में डूब जाने कारण जगतजननी माँ पार्वती जी से विवाह की चेष्ठा की क्योंकि अगर वो माँ पार्वती से विवाह कर लेगा तो फिर माँ पार्वती उन्हें मार नहीं पायेगी क्योंकि कोई भी पत्नी अपने पति को नही मार सकती। और उसने देवताओं को परास्त कर शैवों(भगवान शिव जी के भक्त) पर आक्रमण कर दिया। तब भगवान शिव ने माँ पार्वती जी से उसके वध का आह्वान किया तब माँ पार्वती जी ने भगवान शिवजी से कहा कि अंधकासुर भले ही अधर्म में अँधा हो गया हो पर अब भी उसके लिए मेरे अन्दर स्नेह उमड़ रहा हैं। तब भगवान शिवजी ने कहते हैं कि हे पार्वती! आप जगतजननी हैं तो अंधकासुर भी आपको पुत्र की भांति ही प्रतीत होता हैं। आप उसका वध नहीं कर पाएँगी किन्तु जब कोई व्यक्ति अधर्म इतना अँधा हो जाए कि धर्म का कोई आभास ना रहे तो उसके विनाश के लिए अधर्म का सहारा लेना पड़ता हैं। हे पार्वती! अंधकासुर अधर्म में पूर्णरूप से अँधा हो चूका हैं। आपको भी अधर्म के अँधेरे में इतना डूब जाना होगा कि आपको धर्म की कुछ भी प्रतीति ना रहे। तब जगतजननी माँ पार्वती जी को माँ काली का रूप धारण करना पड़ता हैं। और उनके उस रूप को देखकर देवता भी भयभीत हो जाते हैं, और अपने पुत्रस्वरूप अंधकासुर का वध करना पड़ता हैं। और रक्तबीज के वरदान के कारण खड़क में अंधकासुर के रक्त को धारण कर उसे पीना पड़ता हैं। और उसकी हड्डियों और मुन्डियों की माला बना कर गले में पहन लेती हैं। और सनातन धर्म में नारी को जगतजननी का स्थान दिया हैं। इसलिए हे हिन्दू नारी! तू ही तो वो जगतजननी हैं, जो माँ बन कर तो जगत का निर्वाहन करती हैं तो वो माँ काली का रूप भी तेरे ही अन्दर विद्यमान हैं। नारी तो ही तो नारायणी हैं।