संगीत का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पडता है?
प्रश्न:- संगीत का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव
पडता है?
उत्तर:-
विश्वभर में सात्त्विक संगीतकार प्रायः दीर्घायुषी पाये जाते हैं। इसका रहस्य यह
है कि संगीत जीवन-शक्ति को बढ़ाता है। कान द्वारा संगीत सुनने से तो यह लाभ होता
ही है अपितु कान बन्द करवा के किसी व्यक्ति के पास संगीत बजाया जाये तो भी संगीत
के स्वर, ध्वनि की तरंगें उसके शरीर को छूकर जीवन-शक्ति
के बढ़ाती हैं। इस प्रकार संगीत आरोग्यता के लिए भी लाभदायी है। जलप्रपात, झरनों
के कल-कल छल-छल मधुर ध्वनि से भी जीवन शक्ति का विकास होता है। पक्षियों के कलरव
से भी प्राण-शक्ति बढ़ती है। हाँ, संगीत में एक अपवाद भी है। पाश्चात्य
जगत में प्रसिद्ध रॉक संगीत ( Rock Music ) बजाने वाले एवं सुनने वाली की
जीवनशक्ति क्षीण होती है। डॉ. डायमण्ड ने प्रयोगों से सिद्ध किया कि सामान्यतया
हाथ का एक स्नायु 'डेल्टोइड' 40 से 45 कि.ग्रा.
वजन उठा सकता है। जब रॉक संगीत (Rock Music) बजता है तब उसकी क्षमता केवल 10 से 15 कि.ग्रा.
वजन उठाने की रह जाती है। इस प्रकार रॉक म्यूज़िक से जीवन-शक्ति का ह्रास होता है
और अच्छे, सात्त्विक पवित्र संगीत की ध्वनि से एवं
प्राकृतिक आवाजों से जीवन शक्ति का विकास होता है। श्रीकृष्ण बाँसुरी बजाया करते
उसका प्रभाव पड़ता था यह सुविदित है। श्रीकृष्ण जैसा संगीतज्ञ विश्व में और कोई
नहीं हुआ। नारदजी भी वीणा और करताल के साथ हरिस्मरण किया करते थे। उन जैसा
मनोवैज्ञानिक संत मिलना मुश्किल है। वे मनोविज्ञान की स्कूल-कालेजों में नहीं गये
थे। मन को जीवन-तत्त्व में विश्रान्ति दिलाने से मनोवैज्ञानिक योग्यताएँ अपने आप
विकसित होती हैं। श्री शंकराचार्य जी ने भी कहा है कि चित्त के प्रसाद से सारी
योग्यताएँ विकसित होती हैं।
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